शिविर में पहुंचने वाले लोगों की संख्या घटी, आखिर सरकारी योजनाओं के लिए वास्तविक जरूरतमंद कौन ?
मध्यप्रदेश(राजीव श्रीवास्तव) : गर्मी से पिछले कई दिनों से राहत मिलने के बाद सोमवार को चटक धूप से जहाँ लोगों ने घरों से अनावश्यक बहार निकलना बन्द कर दिया है। वही राज्य सरकार के महंगाई राहत शिविर में भी कुर्सियों खाली नजर आई । हालांकि कुर्सियां खाली रहने की असल वजह स्प्ष्ट नहीं हो पाई, लेकिन वहाँ मौजूद लोगों की संख्या देखकर यह जरूर अनुमान लगाया जा सकता था कि कैम्प के प्रति आमजन का रुझान कुछ हद तक कम ही हो गया है। कैम्प में मौजूद शिविर में सरकारी कामकाज करने वाले लोगों से कुछ जानकारी हासिल की गई ,उसके अनुसार कैम्प समस्या समाधान कतई नहीं है। अन्नपूर्णा योजना का लाभ भी उन्ही परिवारों को मिलेगा।जिनको राशन मिल रहा है। बिजली का बिल भी 100 यूनिट तक ही माफ होगा।इसके अलावा रसोई गैस सिलेंडर भी पांच सौ रुपए में उन्ही को मिलेगा, जिन्होंने उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन लिया है या फिर बीपीएल श्रेणी में आते है, ऐसे में सरकार का भेदभाव नजर आता है कि शेष जरूरतमंद जनता को लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। शायद यही वजह रही है कि आमजन पर गर्मी का असर कम बल्कि कैम्प में अपनाई जा रही कथित दोहरी नीति का असर कुछ ज्यादा ही सर चढ़कर बोल रहा हो। दरअसल कतिपय लोगों को आज तक यह ज्ञात ही नहीं हुआ है कि सरकारी योजनाओं के लिए पात्र कौन होता है या फिर सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए जरूरतमंद परिवार की पात्रता क्या होती है। कुछ लोगों का मानना है या फिर सोचते है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सिर्फ जाति और धर्म महत्वपूर्ण है। स्कूल, कॉलेज और तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में जरूरतमंद परिवार जाति और धर्म के आधार पर ही माना गया है,यह देखा जा सकता है, लेकिन ऐसा सोचने वाले लोगों को यह भी ज्ञान अवश्य होना चाहिए कि गरीबी जाति, धर्म की मोहताज नहीं होती, बल्कि गरीबी कब किस जाति, धर्म के परिवार पर मंडराने लग जाए यह सोच से कतई मेल नहीं खाती है। हम यहां ऐसे जरूरतमंद की भी कतई बात नहीं कर रहे, जिन्हें एसीबी ट्रेप करती है।फिर बहाल होकर दूसरी बार भी एसीबी के दायरे में आ जाते है। बहरहाल इन योजनाओं का लाभ किसको कितना मिलेगा यह जून माह का बिजली बिल ही बता पाएगा।