सीतापुर : उत्तर प्रदेश के तीन जिलों – सीतापुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच में बच्चों में नेत्रहीनता की समस्या को दूर करने के लिए ऑर्बिस ने सीतापुर आई हॉस्पिटल के साथ हाथ मिलाया है। दोनों की साझा परियोजना का उद्देश्य भारत में बच्चों में नेत्रहीनता की प्रमुख समस्या से निपटना है। इस परियोजना के अंतर्गत, बच्चों की आंखों की देखभाल की सुविधाओं को आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
यह परियोजना तीन वर्ष के अंतराल में इन जिलों में 60 शिविरों को सहयोग देगी, जिनमें 0-18 वर्ष आयुवर्ग के दो लाख बच्चों की आंखों की जांच की जाएगी और बच्चों में आंखों के 2600 ऑपरेशन भी किए जाएंगे। इनके अतिरिक्त, दृष्टिबाधित बच्चों को 3200 चश्मे भी बांटे जाने की योजना है। यह परियोजना आंखों के स्वास्थ्य की सुविधाओं को उन लोगों तक पहुंचाएगी, जो बच्चों में आंखों की देखभाल का खर्च वहन नहीं कर सकते और जिन तक गुणवत्तापूर्ण देखभाल अभी नहीं पहुंच सकी है।
यह पहल एक समग्र परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बच्चों में आंखों की गुणवत्तापूर्ण देखभाल उपलब्ध कराने के लिए सीतापुर आई हॉस्पिटल में मानव संसाधन और इसके सामुदायिक नेटवर्क की क्षमता को मजबूत करना और मूलभूत ढांचा तैयार करना है। इस परियोजना को लेवेले फंड फॉर द ब्लाइंड का सहयोग प्राप्त है।
बच्चों में नेत्रहीनता की रोकथाम और उपचार के लिए आवश्यक सामुदायिक जानकारी और व्यवहार में वृद्धि के लिए यह परियोजना विभिन्न भागीदारों के साथ सहयोग करेगी। इनमें सामुदायिक स्वास्थ्य-कर्मचारी, विद्यालयों के प्रबंधन, स्थानीय प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग आदि शामिल हैं। इनके साथ मिलकर कई नई पहल की जाएंगी, जिनसे समुदायों में जागरूकता पैदा की जा सके।
सीतापुर आई हॉस्पिटल ट्रस्ट की सचिव अनु टंडन का कहना है “इस पहल से समुदाय के बच्चों के लिए आंखों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के रास्ते खुलेंगे और वे अपने लिए बेहतर भविष्य का मार्ग भी तलाश कर सकेंगे।
सीतापुर आई हॉस्पिटल ट्रस्ट के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ ब्रिगेडियर वी के बरनवाल का कहना है, “हमारा दृष्टिकोण और ऑर्बिस के साथ भागीदारी आंखों की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता और उन तक पहुंच को कई गुना बढ़ा देगी और समुदाय के भीतर आंखों के स्वास्थ्य के अनुकूल व्यवहार को बढ़ावा देगी। “
सीतापुर आई हॉस्पिटल ट्रस्ट की डायरेक्टर-रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओफ्थल्मोलॉजी एवं मेंबर – बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज, डॉ (कर्नल) मधु भदौरिए, का कहना है, सीतापुर आँख अस्पताल और ऑर्बिस इन्टरनेशनल के बीच आज सहभागिता का शुभारम्भ हुआ। इस सहभागिता के अंतर्गत 0-18 के बच्चों के नेत्र रोगों के उच्चतम व्यवस्था की गई है | आरम्भ मे तीन जिलो में सीतापुर, लखीमपुर एवं बहराइच से इसका आरंभ होगा। इस योजना का क्षेत्र नेत्र से संबंधित सभी रोगों का उपचार, बचाव एवं विकलांगता निवारण होगा। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण के लिये सूर्य ऊर्जा का के बचाव का प्रयोग, बिजली से चलने वाली मोटरसाइकिल एवं पेपर रहित कंप्यूटरीकृत व्यवस्था का भी प्रयोग कैम्प एवं प्राथमिक नेत्र स्वास्थ्य केंद्रों में होगा |
ऑर्बिस के ग्लोबल प्रोग्राम्स की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट डॉ. डोरिस मछारिया का कहना है, “यह पहल विभिन्न समुदायों तक पहुंचेगी और इससे समुदायों और देखभाल के बीच का अंतर कम होगा। इसमें जागरूकता, शिविर और संबंधित चिकित्सकीय पहल बड़ी भूमिका निभाएंगे।”
ऑर्बिस के भारत के कंट्री डायरेक्टर डॉ. ऋषि राज बोरा का कहना है, “इस पहल का दूसरा चरण इस बात को प्रमाणित करता है कि बच्चों में नेत्रहीनता दूर करने के लिए ऑर्बिस और सीतापुर आई हॉस्पिटल के पास समग्र सोच है। इसमें गुणवत्ता प्रबंधन, भूमिकारूप व्यवस्था, क्षमता विकास और सामुदायिक पहुंच शामिल हैं।”
यह पहल ऑर्बिस के फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘इंडिया चाइल्डहुड ब्लाइंडनेस इनिशिएटिव’ (आईसीबीआई) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आगामी पीढ़ियों में देश के बच्चों को सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली और समग्र आंखों की देखभाल मिल सके।