डैडी पिक्चर का गाना है..
आइना फिर मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे,
मेरे अपने मेरे होने की निशानी मांगे।
सारा दिन दौड़ भाग में निकल गया। शोभित चिंन्तन क्या और क्या सोचे। दिमाग का खपड्ड ही काम नही कर रहा। शोभित टण्डन जिस कब्जा हुए गीता मन्दिर को कब्जे से छुड़ाए। उसकी कब्जा हुई जमीन को आज भूमाफियों और गुंडों के माध्यम से कब्जा किये लोगो ने दांव धर दिया। भटकते हुए दिन बीत गया। आई पी सी सी आर पी सी को दम तोड़ते देखा। अधिकारियों को कब्जा करने वालो के ही तलुए चाटते देखा। कौन शासन कौन प्रशासन, दिक्क्क्त यह नही क्या हुआ।
शोभित जो अपने को धर्म के जहाज का कैप्टन मानते रहे कि उसके लिए जरूरत हुई तो जान दांव पर लगा देंगे।
लगता है वक्त हमारा इम्तिहान लेने को आ गया है।
वो राम जो अंदर ही विद्यमान है बेहतर ही करेगा। हम जानते झंझटों से भरे जीवन के रास्ते ने कई रास्तों से गुजारा। लगता है फिर कोई नया रास्ता सामने आ रहा है।
राम कहते है जो मेरी शरणागति लिए रहता है उसे मैं माफ कर देता हूँ शरणागति का भाव और प्रबल हो यही उससे प्रार्थना है।
हम अपने को जहाज का सफल कैप्टन साबित कर पाए यही उस ईश्वर से प्रार्थना है। देखे वक्त किस करवट को सामने लाता है।
शोभित चिंन्तन चार लाइनों से शोभित को ही समर्पित।
जो धारा के साथ बहते वह शव कहे जाते है,
जो लहर चीर कर चलते है वह वीर पुरुष कहलाते है,
जो युग को मोड़ नही सकता वह बलवान नही होता,
कमजोर करो से साथी सर संधान नही होता।
शोभित टण्डन
शोभित टण्डन आश्रम, सीतापुर