शोभित चिंन्तन से देखे तो कोई सुरक्षित भविष्य के कारण, कोई कुछ नही सड़क छाप है। वह भी गर्दन ताने है।
मूलतः यही जीवन के सुखों पर दुखो का कारण है।
यह अहंकार खत्म भी नही होता। वजह हम अंदर से खुदा से दूर ही होते है। यह अहंकार दुखो का मूल है, लेकिन ज्ञानी हो या ध्यानी या फटीचर जान कोई नही पाता।
खैर इसका कोई निदान भी नही। वजह संसार मे कर्म गति जो प्रधान है। कर्म गति उसी पटरी पर ले जाती है।जिसपर हमे चलना और चल कर सुखी या दुखी होना है या दूसरे को सुख दुख देना है।
शोभित पोस्ट एक शेर से बिराम।
मैं अब आइना कम देखता हूँ, लगता है खुद से जी भर गया है मेरा।
शोभित टण्डन
शोभित टण्डन आश्रम, सीतापुर