बनारस की बहू की पीएम मोदी से फरियाद

कैसी लाएंगी पदक बेटियां ?

पदक की राह में मुफलिसी बनी रोड़ा

संतोष यादव

वाराणसी: ओमान में एशिया की सबसे ताकतवर महिला का खिताब हासिल कर चुकी एवं कामनबेल्थ गेम में तीन बार स्वर्णपदक विजेता रही अंतर्राष्ट्रीय पॉवर लिफ्टिंग खिलाड़ी निधि सिंह पटेल मुफलिसी से जंग में हार रही है। आयरन गर्ल के नाम से मशहूर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढ़ा चुकी यह बेटी खेलों में हो रहे भेदभाव को लेकर आहत है इसीलिए खेल को हमेशा के लिए अलविदा कहना चाहती है।
पढ़े बेटियां, बढ़े बेटियां का नारा इस बेटी के लिए बेमानी है। गौरलतब है कि अंतर्राष्ट्रीय पॉवर लिफ्टिंग खिलाड़ी निधि सिंह पटेल सितंबर माह 2019 में कनाडा में आयोजित कामनबेल्थ खेल में प्रतिभाग के लिए चुनी गई है लेकिन देश के लिए पदक लाने की इस राह में मुफलिसी रोड़ा बन रही है। जुलाई के अंत तक निधि को 2 लाख नब्बे हजार रुपये उन्हें तय समय के अंदर पॉवर लिफ्टिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पास जमा करने है। वर्ष 2018 में 14 से 18 नवम्बर के बीच महाराष्ट्र के पूना में कामनबेल्थ खेल के लिए क्वालीफाई करने के बाद
से ही निर्धारित शुल्क को लेकर निधि चिंता में है। ज्ञातब्य है कि एक बार अमेरिका में आयोजित विश्व पॉवर लिफ्टिंगचैम्पियनशिप के लिए चयन होने के बाद भी शुल्क जमा न कर पाने के कारण निधि खेल में प्रतिभाग नही कर सकी थी। मिर्जापुर जिले की मूल निवासी निधि सिंह पटेल की शादी वाराणसी में हुई है। मिर्जापुर की बेटी वाराणसी की बहू निधि सिंह पटेल की मदत को अभी कोई आगे नही आया है। ज्ञातब्य है कि मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल एवं वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद है। फिर भी खेल जगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी एक बेटी देश के लिए पदक लाने की चाहत लिए मुश्किलों के दौर से गुजर रही है उसकी सुधि लेंने की फुर्सत शासन, सत्ता में बैठे लोगों को नही है।

जमाने को दिखाने की जिद ही उसे कामनबेल्थ गेम की ड्योढ़ी तक लाई है

कहते है कि शादी के बाद बेटियों का कैरियर समाप्त हो जाता है निधि इसे झुठलाना चाहती थी। शादी बाद जमाने को दिखाने की जिद ही उसे कामनबेल्थ गेम की ड्योढ़ी तक लाई है,वर्ना मुफलिसी के चलते एवं शासन प्रशासन की उपेक्षा से आहत निधि खेल को अलविदा कहने का मन पहले ही बना चुकी थी। “बकौल निधि पटेल खिलाड़ियों के साथ भेदभाव नही किया जाना चाहिए। उसे जाति, धर्म के तराजू पर नही तौलना चाहिए, वह सिर्फ खिलाड़ी होता है और देश के लिए खेलता है। खेल में राजनीति नही होनी चाहिए। सभी खेलों के खिलाड़ियों को बराबर महत्व दिया जाना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि क्रिकेट के आगे और खेलों एवं खिलाड़ियों का अपमान हो रहा है। विहार, हरियाणा में पावर लिफ्टिंग खिलाड़ियों को पदक लाने पर वहाँ की सरकारें खिलाड़ियों को नौकरी दे रही है। लेकिन कामनबेल्थ गेम में मैं तीन बार गोल्ड लाई लेकिन आज तक नौकरी तो दूर की बात सरकार की तरफ से मुझे एक भी सम्मान नही दिया गया। अखिलेश यादव की सरकार में मैं तीन बार उनसे जनता दरबार में मिलकर अपने कागजात दिए लेकिन आश्वासनों के अलावा कुछ नही मिला” निधि आहत जरूर है लेकिन हौसले कम नही है। उसे भरोसा है कि जैसे अब तक जनसहयोग से वह खेलों में प्रतिभाग कर पदक जीतती रही है वैसे इस बार भी जनसहयोग से वह कनाडा जाएगी और पदक जीतकर देश का मान बढ़ाएगी।

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